कूर्मि समाज की जनसंख्या का सहीे आंकलन नहीं होने के प्रमुख कारण:-
कूर्मि समाज की भारत वर्ष में लगभग 1530 सरनेम/ उपजातियां है। सभी लोग अपने उपजाति(फिरका) को ही मुख्य व बड़ा मानते है और अन्य सरनेम को गौण दर्जा देते है। स्थिति ऐसी है कि अधिकतर कूर्मि लोग ही अपने आसपास के कूर्मि स्वजातियों के बारे में जानकारी नहीं रखते है। अपने विवेक व लोगों के द्वारा सुनी-सुनाई बातों को लेकर बिना तथ्य के जानकारी यत्र-तत्र चर्चा करते रहते है। यदि कूर्मि समुदाय के लोग ही अपने स्वजातियों के बारे में समग्र जानकारी व संख्या नहीं जानते है, तो ऐसी स्थिति में अन्य समुदाय के लोग कैसे हमारी ताकत व संख्या के बारे में सही जानकारी प्रस्तुत करेंगे?
अपने आपको एक दूसरे से बड़ा साबित करने के कारण हम केवल अपने उपजाति के बारे में ही संख्या लोगों के सामने प्रस्तुत करते है; जिसके कारण अन्य लोग हमारी जनसंख्या के मामले में भ्रमित होते है और कुछ लोग अनायास भ्रम पैदाकर हमारी वास्तवित ताकत को सामने नहीं लाने देते। लोग समेंकित जानकारी के अभाव में हमारी संख्या को कम आंकलन करते है। इसलिए कूर्मि चेतना पंचांग में प्रत्येक वर्ष तथ्य परख जानकारी लोगों के सामने प्रस्तुत करते है, जिससे लोगों को भारत भर के समस्त स्वजातियों के बारे में न केवल जनसंख्या बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में लिखें जाने वाले सरनेम का भी स्पष्ट उल्लेख किया जाता है।